BA Semester-2 Ancient Indian History and Culture - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-2 प्राचीन भारतीय इतिहात एवं संस्कृति - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 प्राचीन भारतीय इतिहात एवं संस्कृति

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2723
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-2 प्राचीन भारतीय इतिहात एवं संस्कृति - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- सम्राट के रूप में हर्ष का मूल्यांकन कीजिए।

अथवा
हर्ष की प्रशासनिक व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
अथवा
हर्षकालीन प्रशासन की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
अथवा
हर्ष के प्रशासन की आलोचनात्मक विवेचना कीजिए। 

उत्तर-

हर्ष की शासन व्यवस्था भी राजतंत्रात्मक थी। वह अपनी दैवीय उत्पत्ति में विश्वास करता था। वह महाराजाधिराज, परमभट्टारक तथा परमेश्वर जैसी भारी-भरकम उपाधि धारण करता था। बाण ने हर्ष की तुलना शिव, इन्द्र, वरुण, कुबेर जैसे देवताओं से की है। अर्थात् इस समय इस राजत्व को देवता से पूर्णतः जोड़ दिया गया। हर्ष प्रजावत्सल सम्राट था और वह सदैव जनहित के कार्यों में संलग्न रहता था। इसकी पुष्टि बाण के हर्षचरित से होती है।

साम्राज्य का संगठन - हर्ष का साम्राज्य सामंती संगठन पर आधारित था। उसके साम्राज्य में 'गृहराज्य, भोगराज्य, अधीन राज्य, अधीनमित्र' सम्मिलित थे। गृहराज्य पर हर्ष का सीधा प्रशासनिक नियंत्रण था, परंतु अन्य राज्यों पर उसका सिर्फ अप्रत्यक्ष नियंत्रण था। इन पर उसके अधीनस्थ शासक और सामंत राज्य करते थे। हर्ष की उपाधियों से स्पष्ट हो जाता है कि हर्ष में दैवी गुणों का समावेश था तथा उसके अधीन अनेक शासक थे और वह उनका प्रधान था। बाण भी इनका उल्लेख करते हैं। हर्ष के अधीनस्थ शासक भूपाल, कुमार, लोकपाल, नृपति, नरपति, सामंत, महासामंत एवं महाराजा की उपाधि धारण करते थे। ये अधीनस्थ शासक हर्ष को कर प्रदान करते थे। सैनिकों से सहायता करते थे एवं राज दरबार में उपस्थित होते थे। हर्ष उन्हें सुरक्षा प्रदान करता था एवं उन्हें प्रशासनिक छूट देता था। हर्ष के प्रमुख अधीनस्थ शासकों में वल्लभी का ध्रुवसेन द्वितीय, कामरूप का भास्करवर्मन, मगध का पूर्णवर्मन, जालंधर का उदित और उत्तर - गुप्त शासक माधवगुप्त का नाम लिया जा सकता है। इस प्रकार व्यावहारिक रूप में हर्ष और उसके अधीनस्थ शासकों में शक्ति का विभाजन था। हर्ष मौर्य सम्राटों जैसा शक्तिशाली नहीं था। राज्य की वास्तविक शक्ति सिर्फ उसके हाथों में केंद्रित नहीं थी।

हर्षवर्द्धन के सहायक मंत्री एवं अधिकारी - ह्वेनसांग के अनुसार, हर्षवर्द्धन एक मंत्रिपरिषद् की सहायता से प्रशासन चलाता था। इस परिषद् की निश्चित संख्या तो ज्ञात नहीं है, परंतु इसमें सामंतों, विभागीय प्रधानों और राजा के सलाहकारों को स्थान दिया गया था। हर्ष के सभी मंत्री योग्य और कुशल थे। वे कुशल सेनापति का गुण भी रखते थे। बाण का कहना है कि हर्ष का मंत्री भण्डी राजा के साथ सैनिक अभियानों में भी भाग लेता था। नागानंद में प्रधान अमात्य तथा रत्नावली में प्रधानमंत्री और अन्य मंत्रियों का उल्लेख है। मंत्री विभागीय और सैनिक टुकड़ी के भी प्रधान होते थे। भण्डी के अतिरिक्त आवंती तथा सिंहनाद, कुंतल का भी उल्लेख मिलता है।

हर्ष के अभिलेखों और हर्षचरित में अनेक राजकीय अधिकारियों का उल्लेख मिलता है। इनमें प्रमुख अधिकारी थे- महासंधिविग्रहधिकृत, सांधिविग्रहिक, महाबलाधिकृत, बलाधिकृत, सेनापति, वृहदश्वार, कटुक, पात्ती एवं चट्ट-भट्ट। ये सभी अधिकारी सैन्य विभाग से संबद्ध थे। इनके अतिरिक्त राजस्थानीय, कुमारामात्य, दूत एवं यामचेट्टी भी थे। उपरिक राज्यादेश तैयार करता था। इन प्रमुख अधिकारियों के अतिरिक्त महल में संबद्ध सेवकों और अधिकारियों में महाप्रतिहार, चामरग्राहिणी, ताम्बुलकरणकवाहिणी बौने तथा स्त्री सेवकों का उल्लेख भी मिलता है। महल की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाता था। अधिकारियों की सूची देखकर यह स्पष्ट हो जाता है किं प्रशासन सैनिक बल पर आधारित था। नागरिक अधिकारियों का उल्लेख नहीं मिलता है। संभवत: नागरिक और सैनिक प्रशासनिक के एक ही प्रकार के अधिकारी होते थे। राजधानी में केंद्रीय सचिवालय एवं अभिलेखाकार भी था। सचिवालय प्रशासन की देखभाल करता था। अधिकारियों को नकद और जमीन के रूप में वेतन दिया जाता था। अधिकांश पदों पर राजा की इच्छानुसार नियुक्ति की जाती थी। उनके पद वंशानुगत भी थे।

सैन्य संगठन - हर्ष के सैन्य संगठन के विषय में जानकारी बाणभट्ट के हर्षचरित तथा ह्वेनसांग के यात्रा वृत्तांत से होती है। ह्वेनसांग हर्ष की चतुरंगिणी सेना का ( पैदल, घुड़सवार, रथ तथा हाथी ) उल्लेख करता है। मधुबन तथा बांसखेड़ा अभिलेखों से हर्ष के जलबेड़े के विषय में जानकारी मिलती है। हर्ष के इसमें वीर, दक्ष एवं वंशानुगत सैनिकों को रखा जाता था। इस सेना के रख-रखाव में हर्ष पूरी दिलचस्पी लेता था। वह स्वयं इसका निरीक्षण करता था तथा इसे नए अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित रखता था। अपनी स्थायी सेना के अतिरिक्त हर्ष को अधीनस्थ शासकों एवं सामंती सेना से भी मदद मिलती थी। चीनी यात्री के अनुसार हर्ष के पास 'राष्ट्रीय सेना भी थी। इसका अर्थ स्पष्ट नहीं है। संभवतः इसका अर्थ यह है कि हर्ष की सेना में पूरे देश से सैनिक बहाल किये जाते थे। ह्वेनसांग के अनुसार शिलादित्य ने राजा बनते ही 5,000 हाथियों, 2,000 घुड़सवारों और 50,000 पैदल सैनिकों की सेना तैयार की, परंतु बाद में इसकी संख्या बढ़ाकर उसने गजसेना की संख्या 60,000 तथा घुड़सवारों की संख्या 1,00,000 कर दी। सेना का सर्वोच्च पदाधिकारी महाबलाधिकृत होता था। सैन्य व्यवस्था से संबद्ध अन्य पदाधिकारी भी थे। कटुक गजसेना का प्रधान होता था। इस पद पर स्कंदगुप्त था। सेना के लिए शिविर बनाए जाते थे।

कानून-व्यवस्था - हर्ष के साम्राज्य में शांति व्यवस्था की स्थिति अत्यंत अच्छी थी। चीनी यात्री के विवरण से विदित होता है कि राज्य में अपराध कम होते थे तथा अपराधियों की संख्या छोटी थी। अपराधों की रोकथाम के लिए पूरी व्यवस्था की गई थी। अपराधियों को कड़ी सजाएँ दी जाती थीं। अपराधियों की जाँच के लिए अग्नि, जल, विष, तुला परीक्षा की व्यवस्था की गई थी। आजीवन कारावास से लेकर अंग- भंग तक की सजाएं दी जाती थी। विशेष अवसरों पर अपराधियों को मुक्त भी किया जाता था। यद्यपि सम्राट ही न्याय व्यवस्था का सर्वोच्च अधिकारी था, तथापि कानून-व्यवस्था से संबद्ध अनेक अधिकारियों का उल्लेख मिलता है। इनमें प्रमुख थे महापरमात्र, परमात्री, मिमांसक, दंडिक, दंडपासिक, दंडिसा, चौरोद्धरणिक, दःसाध्यसाधनिक तथा चट्ट-भट्ट। ये अधिकारी अपराधों और अपराधियों पर निगरानी रखते थे तथा शांति-सुव्यवस्था बनाए रखते थे। ये पुलिस और न्यायाधीश दोनों का कार्य करते थे।

राजस्व व्यवस्था - राज्य को वेभिन्न स्रोतों से आय प्राप्त होती थी। सबसे अधिक आमदनी जमीन से होती थी। किसानों से विभिन्न प्रकार के कर वसूले जाते थे। इनमें उद्रंग, उपरिकर, धान्य और हिरण्य सबसे महत्त्वपूर्ण थे। तुल्यमेय, भाग, भोग, भूत-भात इत्यादि कर भी लिए जाते थे। भौगिक कर वसूलने वाला तथा पुस्तपाल जमीन का हिसाब रखने वाला पदाधिकारी था। राज्य की तरफ से कृषि व्यवस्था की देखभाल की जाती थी। कृषि योग्य भूमि की माप करवाकर इसके अनुसार उपज का 1/6 भाग राजस्व के रूप में किसानों से वसूला जाता था। बाणभट्ट के अनुसार वन भी राजकीय आय के महत्त्वपूर्ण स्रोत थे। अतः वनपाल वनों की सुरक्षा करता था। व्यापार और उद्योगों तथा अपराधियों पर लगाए गए जुर्माने से भी राज्य को आमदनी होती थी। ह्वेनसांग का कहना है कि राजकीय आय सरकारी एवं आर्थिक कार्यों, सार्वजनिक अधिकारियों और विद्वानों को सहायता एवं पुरस्कार देने तथा दान-पुण्य की मदों पर व्यय होती थी। नालंदा विश्वविद्यालय को खर्च के लिए 100 गाँवों से होने वाली आय राज्य की ओर से दी जाती थी।

प्रांतीय एवं स्थानीय शासन - हर्ष के सीधे नियंत्रण वाले क्षेत्र को प्रशासनिक सुविधा के उद्देश्य से प्रांतों में बांटा गया था, जो भुक्ति या देश कहलाते थे। इनका शासक सम्राट द्वारा नियुक्त होता था। वह विभिन्न नामों से जाना जाता था उपरिकमहाराज, गोप्ता, आयुक्तक, भोगपति, राजस्थानीय या राष्ट्रीय। हर्षवर्द्धन के समय में अहिच्छत्र, श्रावस्ती, कौशांबी, श्रीनगर या नगरभुक्ति एवं पुण्ड्रवर्द्धन भुक्तियों का उल्लेख मिलता है। प्रथम तीन भुक्तियाँ उत्तर प्रदेश में नगर भुक्ति बिहार में तथा पुण्ड्रवर्धन बंगाल में थी। भुक्ति से छोटी इकाई विषय थी। जिस पर विषयपति शासन करता था। विषय पथक में विभक्त थे।

विषयपति की बहाली - प्रांतपति करता था। मधुबन अभिलेख में कुण्डधानी विषय और बाँसखेड़ा अभिलेख में अंगदीय विषय का उल्लेख है। कभी-कभी विषयपति की नियुक्ति सम्राट द्वारा की जाती थी। विषय आधुनिक जिलों के समान थे। विषयपति का कार्यालय विषयाधिकरण कहलाता था जो अधिष्ठान या मुख्य शहर में होते थे। पथक में अनेक ग्राम होते थे। पथक की स्थिति तहसील जैसी थी। ग्राम प्रशासन का प्रधान महत्तर होता था। वह अग्रहारिक, अष्टकुलाधिकरण, अक्षपटलिक, जलवाटक, उल्लेखटचित, पुस्तपाल, कारणिक या लेखक या कायस्थ इत्यादि की सहायता से ग्राम प्रशासन चलाता था। महत्तर संभवतः गाँव का सबसे प्रतिष्ठित व्यक्ति हुआ करता था। वह अवैतनिक कर्मचारी था।

लोककल्याणकारी - हर्ष के प्रशासन का उद्देश्य लोगों का अधिकतम कल्याण करना था। ह्वेनसांग हर्ष की लोक कल्याणकारी कार्यों की प्रशंसा करता है। हर्ष सदैव जनहित के कार्यों में संलग्न रहता था उसने आवागमन की सुविधा के लिये न केवल सड़कों का निर्माण करवाया बल्कि उसकी सुरक्षा की व्यवस्था की।

उसने चैत्यों, विहारों और मंदिरों तथा सरायों का निर्माण करवाया। शिक्षा और साहित्य के विकास में उसकी गहरी अभिरुचि थी। अतः विद्वानों को दान दिए गए एवं उन्हें पुरस्कृत किया गया। शिक्षण संस्थाओं, ब्राह्मणों एवं गरीबों को दान दिए गए। नालंदा विश्वविद्यालय भी उसके दान से लाभान्वित हुआ।

निष्कर्षतः हम कह सकते हैं कि हर्षवर्द्धन का प्रशासन 'उदार सिद्धान्तों पर आधारित था, तथापि इसमें अनेक कमजोरियाँ थी। पूरी व्यवस्था सामंती पद्धति पर आधृत थी। स्थानीय अधिकारियों के हाथों में शक्ति संचित हो गई। भूमि अनुदान की व्यवस्था ने अधिकारियों और प्रांतीय शासकों तथा स्थानीय तत्वों को अधिक प्रभावशाली बना दिया। कृषि पर अधिक बल देने से उद्योग-धन्धों, व्यापार-वाणिज्य, मुद्रा - व्यवस्था और नगरों के प्रचलन को धक्का पहुँचा, जिसने राज्य की आर्थिक स्थिति कमजोर कर दी। दान-दक्षिणा में अधिक व्यय होने से भी आर्थिक व्यवस्था लड़खड़ा गई। प्रशासन पर कड़ा नियंत्रण नहीं रहने से अधिकारियों के अत्याचार बढ़ गए तथा अव्यवस्था एवं असुरक्षा बढ़ गई। चीनी यात्री स्वयं स्वीकार करता है कि उसे अनेक बार चोरों डाकुओं का सामना करना पड़ा और सम्राट की हत्या का भी प्रयास कन्नौज- सम्मेलन के अवसर पर किया गया। इस प्रशासनिक व्यवस्था से विघटनकारी तत्व बहुत अधिक शक्तिशाली थे। फलतः हर्ष की मृत्यु के तत्काल बाद ही उसका साम्राज्य नष्ट हो गया।

 

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास को समझने हेतु उपयोगी स्रोतों का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- प्राचीन भारत के इतिहास को जानने में विदेशी यात्रियों / लेखकों के विवरण की क्या भूमिका है? स्पष्ट कीजिए।
  3. प्रश्न- प्राचीन भारत के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की सुस्पष्ट जानकारी दीजिये।
  4. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के विषय में आप क्या जानते हैं?
  5. प्रश्न- भास की कृति "स्वप्नवासवदत्ता" पर एक लेख लिखिए।
  6. प्रश्न- 'फाह्यान' पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  7. प्रश्न- दारा प्रथम तथा उसके तीन महत्वपूर्ण अभिलेख के विषय में बताइए।
  8. प्रश्न- आपके विषय का पूरा नाम क्या है? आपके इस प्रश्नपत्र का क्या नाम है?
  9. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - प्राचीन इतिहास अध्ययन के स्रोत
  10. उत्तरमाला
  11. प्रश्न- बिम्बिसार के समय से नन्द वंश के काल तक मगध की शक्ति के विकास का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- नन्द कौन थे महापद्मनन्द के जीवन तथा उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
  13. प्रश्न- छठी सदी ईसा पूर्व में गणराज्यों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  14. प्रश्न- छठी शताब्दी ई. पू. में महाजनपदीय एवं गणराज्यों की शासन प्रणाली के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
  15. प्रश्न- बिम्बिसार की राज्यनीति का वर्णन कीजिए तथा परिचय दीजिए।
  16. प्रश्न- उदयिन के जीवन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  17. प्रश्न- नन्द साम्राज्य की विशालता का वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- धननंद और कौटिल्य के सम्बन्ध का उल्लेख कीजिए।
  19. प्रश्न- धननंद के विषय में आप क्या जानते हैं?
  20. प्रश्न- मगध की भौगोलिक सीमाओं को स्पष्ट कीजिए।
  21. प्रश्न- गणराज्य किसे कहते हैं?
  22. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - महाजनपद एवं गणतन्त्र का विकास
  23. उत्तरमाला
  24. प्रश्न- मौर्य कौन थे? इस वंश के इतिहास जानने के स्रोतों का उल्लेख कीजिए तथा महत्व पर प्रकाश डालिए।
  25. प्रश्न- चन्द्रगुप्त मौर्य के विषय में आप क्या जानते हैं? उसकी उपलब्धियों और शासन व्यवस्था पर निबन्ध लिखिए|
  26. प्रश्न- सम्राट बिन्दुसार का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  27. प्रश्न- कौटिल्य और मेगस्थनीज के विषय में आप क्या जानते हैं?
  28. प्रश्न- मौर्यकाल में सम्राटों के साम्राज्य विस्तार की सीमाओं को स्पष्ट कीजिए।
  29. प्रश्न- सम्राट के धम्म के विशिष्ट तत्वों का निरूपण कीजिए।
  30. प्रश्न- भारतीय इतिहास में अशोक एक महान सम्राट कहलाता है। यह कथन कहाँ तक सत्य है? प्रकाश डालिए।
  31. प्रश्न- मौर्य साम्राज्य के पतन के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
  32. प्रश्न- मौर्य वंश के पतन के लिए अशोक कहाँ तक उत्तरदायी था?
  33. प्रश्न- चन्द्रगुप्त मौर्य के बचपन का वर्णन कीजिए।
  34. प्रश्न- अशोक ने धर्म प्रचार के क्या उपाय किये थे? स्पष्ट कीजिए।
  35. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - मौर्य साम्राज्य
  36. उत्तरमाला
  37. प्रश्न- शुंग कौन थे? पुष्यमित्र का शासन प्रबन्ध लिखिये।
  38. प्रश्न- कण्व या कण्वायन वंश को स्पष्ट कीजिए।
  39. प्रश्न- पुष्यमित्र शुंग की धार्मिक नीति की विवेचना कीजिए।
  40. प्रश्न- पतंजलि कौन थे?
  41. प्रश्न- शुंग काल की साहित्यिक एवं कलात्मक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  42. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - शुंग तथा कण्व वंश
  43. उत्तरमाला
  44. प्रश्न- सातवाहन युगीन दक्कन पर प्रकाश डालिए।
  45. प्रश्न- आन्ध्र-सातवाहन कौन थे? गौतमी पुत्र शातकर्णी के राज्य की घटनाओं का उल्लेख कीजिए।
  46. प्रश्न- शक सातवाहन संघर्ष के विषय में बताइए।
  47. प्रश्न- जूनागढ़ अभिलेख के माध्यम से रुद्रदामन के जीवन तथा व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिए।
  48. प्रश्न- शकों के विषय में आप क्या जानते हैं?
  49. प्रश्न- नहपान कौन था?
  50. प्रश्न- शक शासक रुद्रदामन के विषय में बताइए।
  51. प्रश्न- मिहिरभोज के विषय में बताइए।
  52. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - सातवाहन वंश
  53. उत्तरमाला
  54. प्रश्न- कलिंग नरेश खारवेल के इतिहास पर प्रकाश डालिए।
  55. प्रश्न- कलिंगराज खारवेल की उपलब्धियों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  56. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - कलिंग नरेश खारवेल
  57. उत्तरमाला
  58. प्रश्न- हिन्द-यवन शक्ति के उत्थान एवं पतन का निरूपण कीजिए।
  59. प्रश्न- मिनेण्डर कौन था? उसकी विजयों तथा उपलब्धियों पर चर्चा कीजिए।
  60. प्रश्न- एक विजेता के रूप में डेमेट्रियस की प्रमुख उपलब्धियों की विवेचना कीजिए।
  61. प्रश्न- हिन्द पहलवों के बारे में आप क्या जानते है? बताइए।
  62. प्रश्न- कुषाणों के भारत में शासन पर एक निबन्ध लिखिए।
  63. प्रश्न- कनिष्क के उत्तराधिकारियों का परिचय देते हुए यह बताइए कि कुषाण वंश के पतन के क्या कारण थे?
  64. प्रश्न- हिन्द-यवन स्वर्ण सिक्के पर प्रकाश डालिए।
  65. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - भारत में विदेशी आक्रमण
  66. उत्तरमाला
  67. प्रश्न- गुप्तों की उत्पत्ति के विषय में आप क्या जानते हैं? विस्तृत विवेचन कीजिए।
  68. प्रश्न- काचगुप्त कौन थे? स्पष्ट कीजिए।
  69. प्रश्न- प्रयाग प्रशस्ति के आधार पर समुद्रगुप्त की विजयों का उल्लेख कीजिए।
  70. प्रश्न- चन्द्रगुप्त (द्वितीय) की उपलब्धियों के बारे में विस्तार से लिखिए।
  71. प्रश्न- गुप्त शासन प्रणाली पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
  72. प्रश्न- गुप्तकाल की साहित्यिक एवं कलात्मक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- गुप्तों के पतन का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- गुप्तों के काल को प्राचीन भारत का 'स्वर्ण युग' क्यों कहते हैं? विवेचना कीजिए।
  75. प्रश्न- रामगुप्त की ऐतिहासिकता पर विचार व्यक्त कीजिए।
  76. प्रश्न- गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य के विषय में बताइए।
  77. प्रश्न- आर्यभट्ट कौन था? वर्णन कीजिए।
  78. प्रश्न- स्कन्दगुप्त की उपलब्धियों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  79. प्रश्न- राजा के रूप में स्कन्दगुप्त के महत्व की विवेचना कीजिए।
  80. प्रश्न- कुमारगुप्त पर संक्षेप में टिप्पणी लिखिए।
  81. प्रश्न- कुमारगुप्त प्रथम की उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
  82. प्रश्न- गुप्तकालीन भारत के सांस्कृतिक पुनरुत्थान पर प्रकाश डालिए।
  83. प्रश्न- कालिदास पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  84. प्रश्न- विशाखदत्त कौन था? वर्णन कीजिए।
  85. प्रश्न- स्कन्दगुप्त कौन था?
  86. प्रश्न- जूनागढ़ अभिलेख से किस राजा के विषय में जानकारी मिलती है? उसके विषय में आप सूक्ष्म में बताइए।
  87. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - गुप्त वंश
  88. उत्तरमाला
  89. प्रश्न- दक्षिण के वाकाटकों के उत्कर्ष का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  90. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - वाकाटक वंश
  91. उत्तरमाला
  92. प्रश्न- हूण कौन थे? तोरमाण के जीवन तथा उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
  93. प्रश्न- हूण आक्रमण के भारत पर क्या प्रभाव पड़े? स्पष्ट कीजिए।
  94. प्रश्न- गुप्त साम्राज्य पर हूणों के आक्रमण का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  95. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - हूण आक्रमण
  96. उत्तरमाला
  97. प्रश्न- हर्ष के समकालीन गौड़ नरेश शशांक के विषय में आप क्या जानते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  98. प्रश्न- हर्ष का समकालीन शासक शशांक के साथ क्या सम्बन्ध था? मूल्यांकन कीजिए।
  99. प्रश्न- हर्ष की सामरिक उपलब्धियों के परिप्रेक्ष्य में उसका मूल्यांकन कीजिए।
  100. प्रश्न- सम्राट के रूप में हर्ष का मूल्यांकन कीजिए।
  101. प्रश्न- हर्षवर्धन की सांस्कृतिक उपलब्धियों का वर्णन कीजिये?
  102. प्रश्न- हर्ष का मूल्यांकन पर टिप्पणी कीजिये।
  103. प्रश्न- हर्ष का धर्म पर टिप्पणी कीजिये।
  104. प्रश्न- पुलकेशिन द्वितीय पर टिप्पणी कीजिये।
  105. प्रश्न- ह्वेनसांग कौन था?
  106. प्रश्न- प्रभाकर वर्धन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  107. प्रश्न- गौड़ पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  108. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - वर्धन वंश
  109. उत्तरमाला
  110. प्रश्न- मौखरी वंश की उत्पत्ति के विषय में बताते हुए इस वंश के प्रमुख शासकों का उल्लेख कीजिए।
  111. प्रश्न- मौखरी कौन थे? मौखरी राजाओं के जीवन तथा उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
  112. प्रश्न- मौखरी वंश का इतिहास जानने के साधनों का वर्णन कीजिए।
  113. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - मौखरी वंश
  114. उत्तरमाला
  115. प्रष्न- परवर्ती गुप्त शासकों का राजनैतिक इतिहास बताइये।
  116. प्रश्न- परवर्ती गुप्त शासकों के मौखरी शासकों से किस प्रकार के सम्बन्ध थे? स्पष्ट कीजिए।
  117. प्रश्न- परवर्ती गुप्तों के इतिहास पर टिप्पणी लिखिए।
  118. प्रश्न- परवर्ती गुप्त शासक नरसिंहगुप्त 'बालादित्य' के विषय में बताइये।
  119. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - परवर्ती गुप्त शासक
  120. उत्तरमाला

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